न जाने क्यूं ,बेज़ुबान घुँघरू की बोली हमें कुछ जता रही थी। न जाने क्यूं ,बेज़ुबान घुँघरू की बोली हमें कुछ जता रही थी।
नदिया के बीच तुम्हारी बहनों के बड़े-बड़े मगरमच्छों के परिवार है! नदिया के बीच तुम्हारी बहनों के बड़े-बड़े मगरमच्छों के परिवार है!
कुछ फिक्र नहीं तुम जो हो पास कुछ फिक्र नहीं तुम जो हो पास
आमंत्रण आमंत्रण
नहीं छीनेंगी रोटियां। नहीं छीनेंगी रोटियां।
वो परछाई शायद तुम रही होगी तुम अब नहीं हो उस रात मेरे कदमों की आहट से सहम गई होगी शायद........ वो परछाई शायद तुम रही होगी तुम अब नहीं हो उस रात मेरे कदमों की आहट से सहम ...